हज़रत इमाम बिन हम्बल गौस पाक से मुलाक़ात के लिए क़ब्र से बाहर निकल आए

 Hazrat imam bin hambal gaus pak se mulaqat ke liye qabr se bahar nikal aaye, हज़रत इमाम बिन हम्बल गौस पाक से मुलाक़ात के लिए क़ब्र से बाहर निकल आए।

हज़रत गौसे पाक की बड़ी रूहानियत का एक हैरत अंगेज़ वाकिया और सुनिए जिसे इस किताब ( सिरते गौसे आज़म ब हुज्जत उल असरार) के सफ़ह नम्बर 346 पर नक़ल किया गया है।

इस वाकिये को बयां करने वाला हज़रत अबुल हसन अली बिन हैती रज़ियल्लाहु तआला अन्ह हैं वह बयान करते है कि एक दिन हज़रते गौसे पाक इमाम अहमद बिन हम्बल रज़ियल्लाहू तआला अन्ह के मज़ारे मुबारक की ज़ियारत के लिए तशरीफ़ ले गए। मैं और शैख़ बक़ा भी आप के साथ थे । जैसे ही सैय्यदीना गौसे पाक रोज़ए मुबारक के अंदर दाखिल हुए हज़रत इमाम बिन हम्बल की कब्र मुबारक शक हो गई और वह ज़िन्दा की तरह बाहर तशरीफ़ लाये, और गौसे पाक को अपने सीने से लगाया और उन्हें खलअत फाखरा पहनाया और इरशाद फरमाया की इल्म शरीअत और तरीक़त में हम आपके मोहताज है। 

इस वाकिया से यह बात अच्छी तरह वाज़ेह हो जाती है कि हज़रत गौसे पाक का जिसमे खाकी भी रूह की तरह लतीफ था कि एक रूह की मुलाक़ात में वह किसी तरह से हाईल नही हुआ।

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